अहमद मुश्ताक़ की टॉप 20 शायरी
तू अगर पास नहीं है कहीं मौजूद तो है
तेरे होने से बड़े काम हमारे निकले
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पानी में अक्स और किसी आसमाँ का है
ये नाव कौन सी है ये दरिया कहाँ का है
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इश्क़ में कौन बता सकता है
किस ने किस से सच बोला है
तन्हाई में करनी तो है इक बात किसी से
लेकिन वो किसी वक़्त अकेला नहीं होता
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टैग : तन्हाई
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अब उस की शक्ल भी मुश्किल से याद आती है
वो जिस के नाम से होते न थे जुदा मिरे लब
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ख़ैर बदनाम तो पहले भी बहुत थे लेकिन
तुझ से मिलना था कि पर लग गए रुस्वाई को
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टैग : रुस्वाई
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नए दीवानों को देखें तो ख़ुशी होती है
हम भी ऐसे ही थे जब आए थे वीराने में
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इक रात चाँदनी मिरे बिस्तर पे आई थी
मैं ने तराश कर तिरा चेहरा बना दिया
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टैग : सूरत शायरी
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यार सब जम्अ हुए रात की ख़ामोशी में
कोई रो कर तो कोई बाल बना कर आया
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टैग : मुलाक़ात
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इक ज़माना था कि सब एक जगह रहते थे
और अब कोई कहीं कोई कहीं रहता है
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टैग : याद-ए-रफ़्तगाँ
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हम उन को सोच में गुम देख कर वापस चले आए
वो अपने ध्यान में बैठे हुए अच्छे लगे हम को
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मौत ख़ामोशी है चुप रहने से चुप लग जाएगी
ज़िंदगी आवाज़ है बातें करो बातें करो
खोया है कुछ ज़रूर जो उस की तलाश में
हर चीज़ को इधर से उधर कर रहे हैं हम
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टैग : जुस्तुजू
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मैं बहुत ख़ुश था कड़ी धूप के सन्नाटे में
क्यूँ तिरी याद का बादल मिरे सर पर आया
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वही गुलशन है लेकिन वक़्त की पर्वाज़ तो देखो
कोई ताइर नहीं पिछले बरस के आशियानों में
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टैग : गुलशन
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संग उठाना तो बड़ी बात है अब शहर के लोग
आँख उठा कर भी नहीं देखते दीवाने को
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तिरे आने का दिन है तेरे रस्ते में बिछाने को
चमकती धूप में साए इकट्ठे कर रहा हूँ मैं
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टैग : धूप
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इस मअ'रके में इश्क़ बेचारा करेगा क्या
ख़ुद हुस्न को हैं जान के लाले पड़े हुए
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