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बेताब देहलवी

1911 - 1945 | दिल्ली, भारत

बेताब देहलवी

ग़ज़ल 2

 

अशआर 2

क्या कहूँ कैसा ही बल खाया है सिसकी भर के

हाथ मेरा जो ज़रा उस की कमर तक पहुँचा

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छोड़ दो ग़ैर से मिलना तुम अब यार कहीं

वर्ना रुस्वा मैं करूँगा सर-ए-बाज़ार कहीं

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पुस्तकें 2

 

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