aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "'abad'"
मोहसिन नक़वी
1947 - 1996
शायर
आबाद लखनवी
1813 - 1845
अबु बक्र अब्बाद
born.1968
लेखक
अब्बास ताबिश
born.1961
शाहीन अब्बास
born.1965
फ़रहत अब्बास शाह
born.1964
अब्बास क़मर
born.1994
असअ'द बदायुनी
1958 - 2003
अबुल कलाम आज़ाद
1888 - 1958
हसन अब्बास रज़ा
born.1951
अब्दुल अहद साज़
1950 - 2020
आबिद अदीब
born.1937
जगन्नाथ आज़ाद
1918 - 2004
मोहम्मद हुसैन आज़ाद
1830 - 1910
ग़ुलाम अब्बास
1909 - 1982
दिल आबाद कहाँ रह पाए उस की याद भुला देने सेकमरा वीराँ हो जाता है इक तस्वीर हटा देने से
इसी मामूरे में आबाद थे यूनानी भीइसी दुनिया में यहूदी भी थे नसरानी भी
तेरा पहलू तिरे दिल की तरह आबाद रहेतुझ पे गुज़रे न क़यामत शब-ए-तन्हाई की
तब-ए-आज़ाद पे क़ैद-ए-रमज़ाँ भारी हैतुम्हीं कह दो यही आईन-ए-वफ़ादारी है
आबाद हम आशुफ़्ता-सरों से नहीं मक़्तलये रस्म अभी शहर में ज़िंदा है कि तुम हो
अबद शायरी
प्रख्यात पाकिस्तानी शायर जो मुशायरों में भी लोकप्रिय हैं।
'अबद'ابدؔ
Pen name
Iss Aabad Kharabe Mein
अख़्तरुल ईमान
आत्मकथा
इश्क़-आबाद
कुल्लियात
Aqwal-e-Zarreen
आबाद अहमद फ़ारूक़ी
टिप्पणियाँ
Jadeed Urdu Masnawi
ज़फ़र अंसारी ज़फ़र
मसनवी तन्क़ीद
Aabad Kharaba
किश्वर नाहीद
कविता
Urdu Novel Ki Tareekh Aur Tanqeed
अली अब्बास हुसैनी
नॉवेल / उपन्यास तन्क़ीद
Is Aabad Kharabe Me
Fiction Ki Talash Mein
फ़िक्शन तन्क़ीद
Mashriqi Europe Ki Musalman Qaumein
आबाद शाह पुरी
Kulliyat-e-Ghulam Abbas
अफ़साना
Urdu Novel Azadi Ke Baad
असलम आज़ाद
Ghubar-e-Khatir
लेख
Seerat-e-Khair-ul-Ibad
इबन-ए-क़य्यम अल-जवज़िया
जीवनी
Mirsaad-ul-Ibaad
ख़्वाजा नजमुद्दीन कुबरा
अनुवाद
Urdu Mein Nazm-e-Muarra Aur Azad Nazm
हनीफ़ कैफ़ी
नज़्म तन्क़ीद
यादों की आबाद गली मेंघूम रहा है तन्हा चाँद
ये ना-आबाद वक़्तों मेंदिल-ए-नाशाद में होगी
क़िस्मत का सितम ही कम नहीं कुछ ये ताज़ा सितम ईजाद न करयूँ ज़ुल्म न कर बे-दाद न कर
दाएम आबाद रहेगी दुनियाहम न होंगे कोई हम सा होगा
दुनिया-ए-तसव्वुर हम आबाद नहीं करतेयाद आते हो तुम ख़ुद ही हम याद नहीं करते
ग़म अबद का नहीं है आन का हैऔर इस का कोई हिसाब नहीं
पलट कर फिर यहीं आ जाएँगे हमवो देखे तो हमें आज़ाद कर के
तंग आग़ोश में आबाद करूँगा तुझ कोहूँ बहुत शाद कि नाशाद करूँगा तुझ को
दस्तक देने वाले भी थे दस्तक सुनने वाले भीथा आबाद मोहल्ला सारा हर दरवाज़ा ज़िंदा था
मकाँ फ़ानी मकीं फ़ानी अज़ल तेरा अबद तेराख़ुदा का आख़िरी पैग़ाम है तू जावेदाँ तू है
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