aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "'shohrat'"
शोहरत बुख़ारी
1925 - 2001
शायर
फ़ानी बदायुनी
1879 - 1941
शौकत थानवी
1904 - 1963
लेखक
शाैकत वास्ती
1922 - 2009
शौकत परदेसी
1924 - 1995
शौकत फ़हमी
born.1965
शहराम सर्मदी
born.1975
सालिक लखनवी
1913 - 2013
शम्सी मीनाई
1919 - 1988
शौकत सिद्दीक़ी
1923 - 2006
अनंत शहरग
born.1999
रिफ़अत सरोश
1926 - 2008
जावेद शोहरत
शौकत सब्ज़वारी
1908 - 1973
शौकत जमाल
born.1946
इश्क़ मुझ को नहीं वहशत ही सहीमेरी वहशत तिरी शोहरत ही सही
जीना वो क्या जो हो नफ़स-ए-ग़ैर पर मदारशोहरत की ज़िंदगी का भरोसा भी छोड़ दे
शोहरत की बुलंदी भी पल भर का तमाशा हैजिस डाल पे बैठे हो वो टूट भी सकती है
वो दोशीज़ा भी शायद दास्तानों की हो दिल-दादाउसे मालूम होगा 'ज़ाल' था 'सोहराब' का दादा
कितने ही लोग हिर्स-ए-शोहरत मेंदार पर ख़ुद लटक गए होंगे
मशहूर हो जाने की ख़्वाहिश हर किसी की होती है लेकिन इस ख़्वाहिश को ग़लत तरीक़ों से पूरा करने की कोशिश बहुत सी इन्सानी क़द्रों की पायमाली का बाइस बनती है। ये शेरी इन्तिख़ाब शोहरत की अच्छी बुरी सूरतों को सामने लाता है।
अग्रणी आधुनिक शायर और कहानिकार, भारत में आधुनिक उर्दू नज़्म के विकास में महत्वपूर्ण यागदान, पद्मश्री से सम्मानित।
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'शोहरत'شہرتؔ
fame
Apne Dukh Mujhe De Do
राजिंदर सिंह बेदी
अफ़साना
Khoye Huon Ki Justaju
सब अफ़्साने मेरे
हाजरा मसरूर
वारदात
प्रेमचंद
Angare
सज्जाद ज़हीर
प्रतिबंधित पुस्तकें
लिहाफ़
इस्मत चुग़ताई
कहानियाँ
मन्टो के अफ़्साने
सआदत हसन मंटो
Shaoor
जीशान-उल-हस्सन उस्मानी
Kulliyat-e-Ghulam Abbas
ग़ुलाम अब्बास
Khuda Ki Basti
सामाजिक
अपने दुख मुझे दे दो
काली शलवार
ठंढा गोश्त
Urdu Afsana
इब्ने कंवल
अफ़साना तन्क़ीद
रुस्तम-ओ-सोहराब
आग़ा हश्र काश्मीरी
ऐतिहासिक
एक मिस्रा भी जो ज़िंदा रहे काफ़ी है 'सबा'मेरे हर शेर की शोहरत हो ज़रूरी तो नहीं
ये दौलत भी ले लो ये शोहरत भी ले लोभले छीन लो मुझ से मेरी जवानी
हम को मा'लूम है शोहरत की बुलंदी हम नेक़ब्र की मिट्टी का देखा है बराबर होना
मैं इसे शोहरत कहूँ या अपनी रुस्वाई कहूँमुझ से पहले उस गली में मेरे अफ़्साने गए
कुछ तो हम ख़ुद भी नहीं चाहते शोहरत अपनीऔर कुछ लोग भी ऐसा नहीं होने देते
ज़रा सा क़ुदरत ने क्या नवाज़ा कि आ के बैठे हो पहली सफ़ मेंअभी से उड़ने लगे हवा में अभी तो शोहरत नई नई है
ये दौलत भी ले लो ये शोहरत भी ले लोभले छीन लो मुझ से से मेरी जवानी
अब तो बदनामी से शोहरत का वो रिश्ता है कि लोगनंगे हो जाते हैं अख़बार में रहने के लिए
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