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ग़ज़ल
मोमिन ख़ाँ मोमिन
नज़्म
जवाब-ए-शिकवा
हम तो माइल-ब-करम हैं कोई साइल ही नहीं
राह दिखलाएँ किसे रह-रव-ए-मंज़िल ही नहीं
अल्लामा इक़बाल
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ग़ज़ल
बहज़ाद लखनवी
नज़्म
ऐ इश्क़ हमें बर्बाद न कर
ऐ इश्क़! ख़ुदारा! रहम-ओ-करम मासूम हैं हम नादान हैं हम
नादान हैं हम नाशाद न कर
अख़्तर शीरानी
नज़्म
मुहासरा
सो शर्त ये है जो जाँ की अमान चाहते हो
तो अपने लौह-ओ-क़लम क़त्ल-गाह में रख दो
अहमद फ़राज़
नज़्म
वो सुब्ह कभी तो आएगी
इन भूकी प्यासी रूहों पर इक दिन तो करम फ़रमाएगी
वो सुब्ह कभी तो आएगी
साहिर लुधियानवी
ग़ज़ल
अहद-ए-वफ़ा या तर्क-ए-मोहब्बत जो चाहो सो आप करो
अपने बस की बात ही क्या है हम से क्या मनवाओगे