aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "aayaa"
मतबा आलिया ख़ुरशीदिया
पर्काशक
आया ततहीर
अनुवादक
अदा जाफ़री
1924 - 2015
शायर
बिस्मिल सईदी
1901 - 1976
इमाम अहमद रज़ा खां बरेलवी
1856 - 1921
लेखक
अहमद अता
born.1985
आमिर अता
born.1994
अताउल हक़ क़ासमी
born.1943
अना देहलवी
सय्यद अबुल आला मोदूदी
1903 - 1979
महमूद अयाज़
1929 - 1997
अता शाद
1939 - 1997
अहया भोजपुरी
born.1977
शैख़ अयाज़
1923 - 1997
इब्न-ए-मुफ़्ती
कभी ख़ुद पे कभी हालात पे रोना आयाबात निकली तो हर इक बात पे रोना आया
हुई इस दौर में मंसूब मुझ से बादा-आशामीफिर आया वो ज़माना जो जहाँ में जाम-ए-जम निकले
ऐ मोहब्बत तिरे अंजाम पे रोना आयाजाने क्यूँ आज तिरे नाम पे रोना आया
मैं अपनी राह में दीवार बन के बैठा हूँअगर वो आया तो किस रास्ते से आएगा
दिल धड़कने का सबब याद आयावो तिरी याद थी अब याद आया
ज़ीशान साहिल उर्दू कविता के एक अनोखे और संवेदनशील लहजे के कवि हैं, जिन्होंने आधुनिक दौर की जटिल भावनाओं को सरल लेकिन गहरे रूपकों के माध्यम से व्यक्त किया है। उनकी कविताओं में एक मौन विरोध, एक तहदार आलोचना, और एक बौद्धिक कोमलता पाई जाती है जो पाठक को झकझोर देती है। उनके यहाँ दुख, ख़ामोशी और समय जैसे विषयों का सौंदर्यपूर्ण चित्रण मुख्य रूप से मिलता है।
तरक़्क़ीपसंद का दौर वो दौर था, जब सारे अदीब- शायर हमारे समाज को बेहतर बनाने की कोशिश में नग़मे बुन रहे थे | यहाँ उस समय के चंद शायर की चंद ग़ज़लें दी जा रही हैं |
हुस्न अदाओं से ही हुस्न बनता है और यही अदाएं आशिक़ के लिए जान-लेवा होती है। महबूब के देखने मुस्कुराने, चलने, बात करने और ख़ामोश रहने की अदाओं का बयान शायरी का एक अहम हिस्सा है। हाज़िर है अदा शायरी की एक हसीन झलक।
आयाآیا
आना क्रिया का भूतकाललिक रूप
आयाآیہ
बच्चे को दूध पिलाने एवं देखभाल करने वाली स्त्री, धाय, सेविका, नौकरानी, ख़ादिमा
'अयाعیا
अड़ाई या अढ़ाई गुने का पहाड़ा
क्याکیا
अभिप्रेत अथवा उदृिष्ट परंतु अव्यक्त तत्त्व, बात या वस्तु की ओर संकेत करने के लिए। जैसे-मैं अच्छी तरह समझता हूँ कि तुम्हारे मन में क्या है ?
अाया बसन्त सखी
वाजिदा तबस्सुम
महिलाओं की रचनाएँ
मुझे याद अाया
ज़ियाउल हक़ क़ासमी
हास्य-व्यंग
Aasman Se Aya Farishta
दीबा ख़ानम
Mujh Par Wajood Aya Hua
अफ़ज़ाल नवेद
काव्य संग्रह
Aaya Istikhlaf Aur Ahl-e-Khilaf
अननोन ऑथर
इस्लामियात
Apne Ek Khwab Ko Dafna Ke Abhi Aaya Hun
आदम अबुवाला
Shera Aaya : Shera Aaya
मदन गोपाल
स्केच / ख़ाका
Apne Ek Khawab Ko Dafna Ke Abhi Aya Hun
शाइरी
राह गुज़र याद अाया
दत्त भारती
रोमांटिक
Sher Aaya Sher Aaya
ए. हमीद
अफ़साना
Sham Nagar Men Cinema Aya Hai
नरेश कुमार शाद
कहानी
Phir Tera Waqt-e-Safar Yad Aya
सय्यद ज़ादा बशारत शिकवा कशमीरी
Wo Kahan Se Aaya
किशोरी लाल
Farishta Nahi Aaya
नासिर अब्बास नय्यर
Dard Aya Hai Dabe Paon
बल कृष्ण मुज़तर
वो कहीं भी गया लौटा तो मिरे पास आयाबस यही बात है अच्छी मिरे हरजाई की
हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उन कोक्या हुआ आज ये किस बात पे रोना आया
तमाम रिश्तों को मैं घर पे छोड़ आया थाफिर उस के बा'द मुझे कोई अजनबी न मिला
बस मुझे यूँही इक ख़याल आयासोचती हो तो सोचती हो क्या
जो न आया उसे कोई ज़ंजीर-ए-दरहर सदा पर बुलाती रही रात भर
यूँही मौसम की अदा देख के याद आया हैकिस क़दर जल्द बदल जाते हैं इंसाँ जानाँ
एक लम्हे में सिमट आया है सदियों का सफ़रज़िंदगी तेज़ बहुत तेज़ चली हो जैसे
रात भर पिछली सी आहट कान में आती रहीझाँक कर देखा गली में कोई भी आया न था
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