aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "kasar"
सलीम कौसर
born.1947
शायर
क़मर जलालवी
1887 - 1968
अब्बास क़मर
born.1994
ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर
1941 - 1999
क़मर जलालाबादी
1917 - 2003
नज़ीर क़ैसर
born.1945
क़मर मुरादाबादी
1910 - 1987
तारिक़ क़मर
born.1975
क़मर अब्बास क़मर
born.1993
क़ैसर शमीम
1936 - 2021
कौसर नियाज़ी
क़मर जमील
1927 - 2000
ज़ुबैर क़ैसर
रेहाना क़मर
born.1962
क़मर बदायुनी
1876 - 1941
सुना है चश्म-ए-तसव्वुर से दश्त-ए-इम्काँ मेंपलंग ज़ाविए उस की कमर के देखते हैं
हो बे-नियाज़-ए-असर भी कभी तिरी मिट्टीवो कीमिया ही सही रह गई कसर फिर भी
भूले से मुस्कुरा तो दिए थे वो आज 'फ़ैज़'मत पूछ वलवले दिल-ए-ना-कर्दा-कार के
ये बस्ती है मुसलमानों की बस्तीयहाँ कार-ए-मसीहा क्यूँ करें हम
कुछ यार ने कसर न छोड़ी थीकुछ ज़हर रक़ीब ने घोल दिया
कमर क्लासिकी शायरी में एक दिल-चस्प मौज़ू है। शायरी के इस हिस्से को पढ़ कर आप शायरों के तख़य्युल की दाद दिए बग़ैर नहीं रह सकेंगे। माशूक़ की कमर की ख़ूबसूरती, बारीकी या ये कहा जाए कि उस की मादूमी को शायरों ने हैरत-अंगेज़ तरीक़ों से बरता है। हम इस मौज़ू पर कुछ अच्छे अशआर का इन्तिख़ाब पेश कर रहे हैं आप उसे पढ़िए और आम कीजिए।
कसरکسر
Affliction, Breach, Loss
जेर की मात्रा, टूट, शिकस्तगी, वह संख्या जो एक से कम हो, भिन्न, जैसे, १, ३, ३, ।।
क़ैसरقیصر
Kaiser, King
केसरکیسر
saffron
'क़ैसर'قیصرؔ
pen name
तिलिस्म-ए होशरुबा
मुंशी अहमद हुसैन क़मर
दास्तान
Urdu Adab Mein Tanz-o-Mizah Ki Riwayat Aur Ham Asr Rujhanat: Ek Jaeza
क़मर रईस
हास्य-व्यंग इतिहास और आलोचना
Urdu Mein Biswin Sadi Ka Afsanvi Adab
फ़िक्शन तन्क़ीद
Qasar-e-Sehra
मिर्ज़ा अज़ीम बेग़ चुग़ताई
Baqiya-e Tilism-e Hoshruba
Qaisar-o-kisra
नसीम हिजाज़ी
ऐतिहासिक
Khair-e-Kaseer
शाह वलीउल्लाह मोहद्दिस देहलवी
समा और अन्य शब्दावलियाँ
Bahadur Ali
क़मर अली अब्बासी
उपन्यास
प्रेम चंद का तन्क़ीदी मुताला
नॉवेल / उपन्यास तन्क़ीद
Gham-e-Javedan
काव्य संग्रह
Rashk-e-Qamar
Ahsan-ul-Qasas
मौलवी ग़ुलाम रसूल
इस्लामियात
Sehra Men Shajar
क़मर जमाली
Ameer Ali Thug
मंजू कमर
आप के टुकड़ों के टुकड़े कर दिए जाएँगे परआप की ताज़ीम में कोई कसर होगी नहीं
जब रोने बैठता हूँ तब क्या कसर रहे हैरूमाल दो दो दिन तक जूँ अब्र तर रहे है
वो तो सौ सौ मर्तबा चाहें मुझेमेरी चाहत में कसर है क्या करूँ
न इस क़दर सुपुर्दगीकि ज़च करें नवाज़िशें
मैं सोचता हूँ जो इंसाँ के दुम लगी होतीकसर जो बाक़ी है वो भी न रह गई होती
कौसर ओ तसनीम है या सलसबीलजल्वे हैं सब तेरे ये बे-क़ाल-ओ-क़ील
नहीं कोई मुझ में कसर नहीं नहीं कोई मुझ में कमी नहींनहीं बन सकी मिरी बात यूँ कि मैं 'इश्क़ हूँ कि मैं 'इश्क़ हूँ
हद-ए-तकमील को पहुँची तिरी रानाई-ए-हुस्नजो कसर थी वो मिटा दी तिरी अंगड़ाई ने
कोई अहल-ए-दिल को कमी नहीं मगर अहल-ए-दिल का ये क़ौल हैअभी मौत भी नहीं मिल सकी अभी ज़िंदगी में कसर भी है
रहती है कसर एक न इक बात की सब मेंहम को तो इन अच्छों में भी अच्छा नहीं मिलता
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books