aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "rassa"
रसा चुग़ताई
1928 - 2018
शायर
नासिर काज़मी
1925 - 1972
मुनव्वर राना
1952 - 2024
साक़ी अमरोहवी
1925 - 2005
पीरज़ादा क़ासीम
born.1943
राही मासूम रज़ा
1927 - 1992
लेखक
राजा मेहदी अली ख़ाँ
1915 - 1966
रसा रामपुरी
1870 - 1913
मिर्ज़ा रज़ा बर्क़
1790 - 1857
हसन अब्बास रज़ा
born.1951
वहशत रज़ा अली कलकत्वी
1881 - 1956
आले रज़ा रज़ा
1896 - 1978
रसा जाविदानी
रसा जालंधरी
1894 - 1977
इमाम अहमद रज़ा खां बरेलवी
1856 - 1921
दामन उस का जो है दराज़ तो होदस्त-ए-आशिक़ रसा नहीं होता
पहले से मरासिम न सही फिर भी कभी तोरस्म-ओ-रह-ए-दुनिया ही निभाने के लिए आ
ख़ामुशी कह रही है कान में क्याआ रहा है मिरे गुमान में क्या
तुझ से मिलने को बे-क़रार था दिलतुझ से मिल कर भी बे-क़रार रहा
आँखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखाकश्ती के मुसाफ़िर ने समुंदर नहीं देखा
मार्सिया अरबी शब्द "रसा" से लिया गया है जिसका अर्थ है मृतकों के लिए शोक करना और उनके गुणों का वर्णन करना। उर्दू में, यह शैली ज़ियादा-तर इमाम हुसैन की प्रशंसा और कर्बला की त्रासदी के वर्णन के लिए आरक्षित है।
फ़िल्म और अदब में हमेशा से एक गहरा तअल्लुक़ रहा है ,अगर बात हिन्दुस्तानी फ़िल्मों की हो तो उनमें इस्तिमाल होने वाली ज़बान, डायलॉगज़ , स्क्रीन राईटिंग और नग़मो में उर्दू का हमेशा से बोल-बाला रहा है जो अब तक जारी है। आज इस कलेक्शन में हमने राजा मेहदी ख़ान के कुछ मशहूर नग़्मों को शामिल किया है । पढ़िए और क्लासिकल गानों का लुत्फ़ लीजिए।
रास्ता, सफ़र, मुसाफ़िर मंज़िल सब चलते रहने और ज़िन्दगी के बहाव की अलामत हैं। रास्तों के पेच-ओ-ख़म, रहगुज़ार की सख़्तियाँ सब एक मक़सद की तकमील के हौसले को पस्त नहीं कर पातीं। कोई ज़रूरी नहीं कि हर रहगुज़र मंज़िल का पता दे लेकिन रास्ता शायरी मंज़िल को पा लेने की धुन को ताक़त और हौसला अता करती है। पेश है रहगुज़र शायरी का यह इन्तिख़ाब आप के लिएः
रस्साرسہ
rope/cord
रस्सीرسی
rope
तेरे आने का इंतिज़ार रहा
ग़ज़ल
Rekhta
काव्य संग्रह
Sab Ras
मुल्ला वजही
फ़िक्शन
Aadha Gaon
ऐतिहासिक
रास्ता बन्द है
मुस्तफ़ा करीम
नॉवेल / उपन्यास
पृथी राज रासा
महमूद ख़ान शीरानी
महा-काव्य
तारीख़-ए-अदबियात-ए-ईरान
रज़ा ज़ादा शफ़क़
Kulliyat-e-Hasan
मोहम्मद हसन रज़ा खान
कुल्लियात
Kulliyat-e-Rasa Chughtai
जिलानी बानो
कहानियाँ
Raja Gidh
बानो कुदसिया
उपन्यास
दास्तान
Ras-Rang
तुफ़ैल चतुर्वेदी
Mirat-us-Salateen (Tarjuma Siar-ul-Mutakhreen)
गुकूल प्रसाद रसा
इतिहास
Maan
नाला यूँ ना-रसा नहीं रहताआह यूँ बे-असर नहीं होती
कौन दिल की ज़बाँ समझता हैदिल मगर ये कहाँ समझता है
तेरे आने का इंतिज़ार रहाउम्र भर मौसम-ए-बहार रहा
जिन आँखों से मुझे तुम देखते होमैं उन आँखों से दुनिया देखता हूँ
दोस्त-दार-ए-दुश्मन है ए'तिमाद-ए-दिल मा'लूमआह बे-असर देखी नाला ना-रसा पाया
ख़ुदा जाने मिरी गठरी में क्या हैन जाने क्यूँ उठाए फिर रहा हूँ
तरसती है निगाह-ए-ना-रसा जिस के नज़ारे कोवो रौनक़ अंजुमन की है उन्ही ख़ल्वत-गज़ीनों में
तिरे नज़दीक आ कर सोचता हूँमैं ज़िंदा था कि अब ज़िंदा हुआ हूँ
दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार केवो जा रहा है कोई शब-ए-ग़म गुज़ार के
कर रहा था ग़म-ए-जहाँ का हिसाबआज तुम याद बे-हिसाब आए
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