aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

बेस्ट आशिक़ शायरी फॉर स्टेटस

आशिक़ी में बहुत ज़रूरी है

बेवफ़ाई कभी कभी करना

बशीर बद्र

आशिक़ी सब्र-तलब और तमन्ना बेताब

दिल का क्या रंग करूँ ख़ून-ए-जिगर होते तक

मिर्ज़ा ग़ालिब

आशिक़ हूँ माशूक़-फ़रेबी है मिरा काम

मजनूँ को बुरा कहती है लैला मिरे आगे

मिर्ज़ा ग़ालिब

देखा है आशिक़ों ने बरहमन की आँख से

हर बुत ख़ुदा है चाहने वालों के सामने

मुनीर शिकोहाबादी

दोस्ती का दावा क्या आशिक़ी से क्या मतलब

मैं तिरे फ़क़ीरों में मैं तिरे ग़ुलामों में

शोएब बिन अज़ीज़

बहुत मुज़िर दिल-ए-आशिक़ को आह होती है

इसी हवा से ये कश्ती तबाह होती है

तअशशुक़ लखनवी

गर्द उड़ी आशिक़ की तुर्बत से तो झुँझला कर कहा

वाह सर चढ़ने लगी पाँव की ठुकराई हुई

अमीर मीनाई

आशिक़ से नाक-भौं चढ़ा किताब-रू

हम दर्स-ए-इश्क़ में ये अलिफ़ भी पढ़े नहीं

इमदाद अली बहर

किस क़दर दिल से फ़रामोश किया आशिक़ को

कभी आप को भूले से भी मैं याद आया

अमानत लखनवी

मुझ सा आशिक़ आप सा माशूक़ तब होवे नसीब

जब ख़ुदा इक दूसरा अर्ज़-ओ-समा पैदा करे

मिर्ज़ा मासिता बेग मुंतही

इस तरह भेस में आशिक़ के छुपा है माशूक़

जिस तरह आँख के पर्दे में नज़र होती है

जलील मानिकपूरी

इसी ख़ातिर तो क़त्ल-ए-आशिक़ाँ से मनअ' करते थे

अकेले फिर रहे हो यूसुफ़-ए-बे-कारवाँ हो कर

ख़्वाज़ा मोहम्मद वज़ीर

ये क्या कि आशिक़ी में भी फ़िक्र-ए-ज़ियाँ रहे

दामन का चाक ता-ब-जिगर जाना चाहिए

अहमद सग़ीर सिद्दीक़ी

मिला है आशिक़ी में रुतबा-ए-पैग़म्बरी मुझ को

मैं उस से क्यूँ दबूँ मजनूँ नहीं कुछ इब्न-ए-अम मेरा

मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी

नासेह मिरे रोने का माने हो कि आशिक़

गर ये करे काम तो फिर काम करे क्या

जुरअत क़लंदर बख़्श

Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

GET YOUR PASS
बोलिए