बेस्ट आशिक़ शायरी फॉर स्टेटस
मुझ सा आशिक़ आप सा माशूक़ तब होवे नसीब
जब ख़ुदा इक दूसरा अर्ज़-ओ-समा पैदा करे
मिला है आशिक़ी में रुतबा-ए-पैग़म्बरी मुझ को
मैं उस से क्यूँ दबूँ मजनूँ नहीं कुछ इब्न-ए-अम मेरा
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
मुझ सा आशिक़ आप सा माशूक़ तब होवे नसीब
जब ख़ुदा इक दूसरा अर्ज़-ओ-समा पैदा करे
मिला है आशिक़ी में रुतबा-ए-पैग़म्बरी मुझ को
मैं उस से क्यूँ दबूँ मजनूँ नहीं कुछ इब्न-ए-अम मेरा
Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi
GET YOUR PASS