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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Gulzar's Photo'

प्रमुख फि़ल्म निर्माता और निर्देशक, फि़ल्म गीतकार और कहानीकार/मिर्ज़ा ग़ालिब पर टीवी सीरियल के लिए प्रसिद्ध/साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त

प्रमुख फि़ल्म निर्माता और निर्देशक, फि़ल्म गीतकार और कहानीकार/मिर्ज़ा ग़ालिब पर टीवी सीरियल के लिए प्रसिद्ध/साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त

गुलज़ार की टॉप 20 शायरी

देर से गूँजते हैं सन्नाटे

जैसे हम को पुकारता है कोई

ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा

क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा

हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते

वक़्त की शाख़ से लम्हे नहीं तोड़ा करते

शाम से आँख में नमी सी है

आज फिर आप की कमी सी है

कभी तो चौंक के देखे कोई हमारी तरफ़

किसी की आँख में हम को भी इंतिज़ार दिखे

कितनी लम्बी ख़ामोशी से गुज़रा हूँ

उन से कितना कुछ कहने की कोशिश की

वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर

आदत इस की भी आदमी सी है

ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़्साने में

एक पुराना ख़त खोला अनजाने में

आदतन तुम ने कर दिए वादे

आदतन हम ने ए'तिबार किया

भरे हैं रात के रेज़े कुछ ऐसे आँखों में

उजाला हो तो हम आँखें झपकते रहते हैं

दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई

जैसे एहसाँ उतारता है कोई

चंद उम्मीदें निचोड़ी थीं तो आहें टपकीं

दिल को पिघलाएँ तो हो सकता है साँसें निकलें

अपने माज़ी की जुस्तुजू में बहार

पीले पत्ते तलाश करती है

ये शुक्र है कि मिरे पास तेरा ग़म तो रहा

वगर्ना ज़िंदगी भर को रुला दिया होता

जब भी ये दिल उदास होता है

जाने कौन आस-पास होता है

रुके रुके से क़दम रुक के बार बार चले

क़रार दे के तिरे दर से बे-क़रार चले

आप के बा'द हर घड़ी हम ने

आप के साथ ही गुज़ारी है

तुम्हारे ख़्वाब से हर शब लिपट के सोते हैं

सज़ाएँ भेज दो हम ने ख़ताएँ भेजी हैं

जिस की आँखों में कटी थीं सदियाँ

उस ने सदियों की जुदाई दी है

हम ने अक्सर तुम्हारी राहों में

रुक कर अपना ही इंतिज़ार किया

Recitation

Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

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