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ख़ातिर ग़ज़नवी

1925 - 2008 | पेशावर, पाकिस्तान

अपनी ग़ज़ल 'गो ज़रा सी बात पर बरसों के याराने गए' के लिए विख्यात, जिसे कई गायकों ने गाया है।

अपनी ग़ज़ल 'गो ज़रा सी बात पर बरसों के याराने गए' के लिए विख्यात, जिसे कई गायकों ने गाया है।

ख़ातिर ग़ज़नवी

ग़ज़ल 21

नज़्म 7

अशआर 16

इक तजस्सुस दिल में है ये क्या हुआ कैसे हुआ

जो कभी अपना था वो ग़ैर का कैसे हुआ

क़तरे की जुरअतों ने सदफ़ से लिया ख़िराज

दरिया समुंदरों में मिले और मर गए

तू नहीं पास तिरी याद तो है

तू ही तो सूझे जहाँ तक सोचूँ

ये कौन चुपके चुपके उठा और चल दिया

'ख़ातिर' ये किस ने लूट लीं महफ़िल की धड़कनें

लोगों ने तो सूरज की चका-चौंद को पूजा

मैं ने तो तिरे साए को भी सज्दा किया है

पहेली 3

 

पुस्तकें 9

 

चित्र शायरी 4

 

वीडियो 8

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गो ज़रा सी बात पर बरसों के याराने गए

फ़रीदा ख़ानम

गो ज़रा सी बात पर बरसों के याराने गए

मेहदी हसन

गो ज़रा सी बात पर बरसों के याराने गए

तारी ख़ान

गो ज़रा सी बात पर बरसों के याराने गए

राज कुमार रिज़वी

ऑडियो 10

आरज़ूएँ ना-रसाई रू-ब-रू मैं और तू

इक तजस्सुस दिल में है ये क्या हुआ कैसे हुआ

कैसी चली है अब के हवा तेरे शहर में

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