aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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समीना राजा

ग़ज़ल 16

नज़्म 11

अशआर 4

शाइ'री झूट सही इश्क़ फ़साना ही सही

ज़िंदा रहने के लिए कोई बहाना ही सही

सफ़र की शाम सितारा नसीब का जागा

फिर आसमान-ए-मोहब्बत पे इक हिलाल खिला

आब-ए-हैराँ पर किसी का अक्स जैसे जम गया

आँख में बस एक लम्हे के लिए ठहरा ख़याल

क्या करें आँख अगर उस से सिवा चाहती है

ये जहान-ए-गुज़राँ आइना-ख़ाना ही सही

पुस्तकें 2

 

ऑडियो 5

दिल माँगे है मौसम फिर उम्मीदों का

हम तो यूँ उलझे कि भूले आप ही अपना ख़याल

ये रस्ता

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