aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

वसी शाह

ग़ज़ल 53

नज़्म 6

अशआर 16

तुम्हारा नाम लिखने की इजाज़त छिन गई जब से

कोई भी लफ़्ज़ लिखता हूँ तो आँखें भीग जाती हैं

तुम्हें होश रहे और मुझे होश रहे

इस क़दर टूट के चाहो मुझे पागल कर दो

जो तू नहीं है तो ये मुकम्मल हो सकेंगी

तिरी यही अहमियत है मेरी कहानियों में

इस जुदाई में तुम अंदर से बिखर जाओगे

किसी मा'ज़ूर को देखोगे तो याद आऊँगा

कौन कहता है मुलाक़ात मिरी आज की है

तू मिरी रूह के अंदर है कई सदियों से

पुस्तकें 2

 

वीडियो 8

This video is playing from YouTube

वीडियो का सेक्शन
शायर अपना कलाम पढ़ते हुए

वसी शाह

वसी शाह

Wasi Shah reading his poetry at a mushaira

वसी शाह

आँखों से मिरी इस लिए लाली नहीं जाती

वसी शाह

बाँध लें हाथ पे सीने पे सजा लें तुम को

वसी शाह

ये कामयाबियाँ इज़्ज़त ये नाम तुम से है

वसी शाह

समुंदर में उतरता हूँ तो आँखें भीग जाती हैं

वसी शाह

ऑडियो 23

अपने एहसास से छू कर मुझे संदल कर दो

अपना तो चाहतों में यही इक उसूल है

अब जो लौटे हो इतने सालों में

Recitation

संबंधित शायर

"लाहौर" के और शायर

Recitation

Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

GET YOUR PASS
बोलिए