aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "ज़हीन"
ज़हीन शाह ताजी
1902 - 1978
शायर
ज़हीन लखनवी
born.1999
ज़हीर देहलवी
1825 - 1911
ज़हीर काश्मीरी
1919 - 1994
ज़हीन बीकानेरी
born.1979
लेखक
सज्जाद ज़हीर
1905 - 1973
सनाउल्लाह ज़हीर
born.1964
हसन ज़हीर राजा
born.1990
ज़हीर अहमद ज़हीर
born.1941
ताहिरा जबीन तारा
ज़हीर मुश्ताक़ राना
ज़हीर ग़ाज़ीपुरी
born.1938
अली ज़हीर रिज़वी लखनवी
1931 - 1982
वक़ार मानवी
born.1939
ज़हीर सिद्दीक़ी
ये मुझे चैन क्यूँ नहीं पड़ताएक ही शख़्स था जहान में क्या
दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार केवो जा रहा है कोई शब-ए-ग़म गुज़ार के
महमूद के मर्दाना जज़्बात को बड़ी ठेस लगी, “मैं नहीं चाहता कि तुम मुलाज़मत करो... मुलाज़मत मुझे करना चाहिए।” जमीला ने ख़ास अंदाज़ में कहा, “हाय... मैं आपकी ग़ैर हूँ। मैंने अगर कहीं थोड़ी देर के लिए मुलाज़मत कर ली है तो इसमें हर्ज ही क्या है... बहुत अच्छे लोग...
माना कि तू ज़हीन भी है ख़ूब-रू भी हैतुझ सा न मैं हुआ तो भला क्या बुरा हुआ
मैं नहीं बोला और अपनी ख़ामोशी के साथ राह चलता रहा। दर-अस्ल मुझे इस बात की ख़ुशी थी कि दाऊ जी से तआरुफ़ हो गया। इसका रंज न था कि भाई ने मेरे थप्पड़ क्यूँ मारा। वो तो उसकी आदत थी। बड़ा था न इस लिए हर बात में अपनी...
ख़ुदा-ए-सुख़न कहे जाने वाले मीर तक़ी मीर उर्दू अदब का वो रौशन सितारा हैं, जिन्होंने नस्ल-दर-नस्ल शायरों को मुतास्सिर किया. यहाँ उनकी ज़मीन पर लिखी गई चन्द ग़ज़लें दी जा रही हैं, जो मुख़्तलिफ़ शायरों ने उन्हें खिराज पेश करते हुए कही.
मिर्ज़ा ग़लिब ने कई पीढ़ियों के शायरों को मुतास्सिर किया है| शायर उनके मज़ामीन, उस्लूब और ज़बान से काफ़ी कुछ सीखते रहे | यही वजह है कि शायरों ने उनकी ज़मीन में कई ग़ज़लें कही और अपना ख़िराज पेश किया | हम ऐसी ही चंद ग़ज़लें आपके साथ आपके साथ साझा कर रहे हैं |
मौत सब से बड़ी सच्चाई और सब से तल्ख़ हक़ीक़त है। इस के बारे मे इंसानी ज़हन हमेशा से सोचता रहा है, सवाल क़ाएम करता रहा है और इन सवालों के जवाब तलाश करता रहा है लेकिन ये एक ऐसा मुअम्मा है जो न समझ में आता है और न ही हल होता है। शायरों और तख़्लीक़-कारों ने मौत और उस के इर्द-गिर्द फैले हुए ग़ुबार में सब से ज़्यादा हाथ पैर मारे हैं लेकिन हासिल एक बे-अनन्त उदासी और मायूसी है। यहाँ मौत पर कुछ ऐसे ही खूबसूरत शेर आप के लिए पेश हैं।
ज़हीनذہین
intelligent, ingenious
जिसमें जहानत हो, दक्ष, कुशल, प्रतिभावान् ।
लमअात-ए-जमाल
संकलन
Aayaat-e-Jamaal
ग़ज़ल
Angare
प्रतिबंधित पुस्तकें
Parliament Se Bazar-e-Husn Tak
जहीर अहमद बाबर
राजनीतिक
London Ki Ek Raat
फ़िक्शन
Gauhar-e-Adab
नायाब जहीर
पाठ्यक्रम
Roshnai
साहित्यिक आंदोलन
Dastan-e-Ghadr
आत्मकथा
Ghazal Ki Tanqeed Ki Istilahat
ज़हीर रहमती
ग़ज़ल तन्क़ीद
जहान-ए-रूमी
बरेलवियत तारीख़-ओ-अक़ाइद
अल्लामा एहसान इलाही ज़हीर शहीद
Intikhab-e-Deewan-e-Momin
ज़हीर अहमद सिद्दीक़ी
शायरी
Hindustani Sheriyat Ki Roshni Mein Urdu Marsiya Ka Mutala
सय्यद अली ज़हीन नक़वी
शायरी तन्क़ीद
जहान-ए-ख़ुसरो
फ़रूक़ अरगली
मज़ामीन / लेख
तरक़्क़ी पसंद तहरीक, अदब और सज्जाद ज़हीर
ज़हीन क़ारी के लिए नीलम का इतना तआ’रुफ़ ही काफ़ी है। अब मैं उन वाक़ियात की तरफ़ आता हूँ जिनकी मदद से मैं ये कहानी मुकम्मल करना चाहता हूँ। बंबई में जून के महीने से बारिश शुरू हो जाती है और सितंबर के वस्त तक जारी रहती है। पहले दो...
जब मैं पेशावर से चली, तो मैंने छकाछक इत्मीनान का साँस लिया। मेरे डिब्बों में ज़्यादा-तर हिंदू लोग बैठे हुए थे। ये लोग पेशावर से होते हुए मरदान से, कोहाट से, चारसद्दा से, ख़ैबर से, लंडी कोतल से, बन्नूँ, नौशेरा से, मानसहरा से आए थे और पाकिस्तान में जान-ओ-माल को...
जमील दराज़ क़द नहीं था मगर अच्छे ख़द्द-ओ-ख़ाल का मालिक था। मेरा मतलब है कि उसे ख़ूबसूरत न कहा जाए तो उसके क़ुबूल सूरत होने में शक-ओ-शुहबा नहीं था। रंग गोरा और सुर्ख़ी माइल, तेज़-तेज़ बातें करने वाला, बला का ज़हीन, इंसानी नफ़सियात का तालिब-ए-इल्म, बड़ा सेहत मंद। उसके दिल-ओ-दिमाग़...
मंटो की अफ़साना निगारी दो मुतज़ाद अनासिर के तसादुम का बाइस है। उसके वालिद ख़ुदा उन्हें बख़्शे बड़े सख़्त-गीर थे और इस की वालिदा बेहद नर्म-दिल। इन दो पाटों के अंदर पिस कर ये दाना-ए-गंदुम किस शक्ल में बाहर निकला होगा, उस का अंदाज़ा आप कर सकते हैं। अब मैं...
राही से बात करते हैं इंसान की तरहकितने ज़हीन हैं तिरे बोए हुए दरख़्त
अल्लाह दत्ता की एक लड़की थी... ज़ैनब... उसकी शादी हो चुकी थी मगर अपने घर में इतनी ख़ुश नहीं थी। इसलिए कि उसका ख़ाविंद ओबाश था। फिर भी वो जूं तूं निभाए जा रही थी। ज़ैनब अपने भाई तुफ़ैल से तीन साल बड़ी थी। इस हिसाब से तुफ़ैल की उम्र...
लड़की रोज़ाना आने लगी। मुख़्तार को देखती तो सिमट जाती। आहिस्ता आहिस्ता उसका ये रद्द-ए-अ’मल दूर हुआ और उसके दिमाग़ से ये ख़याल किसी क़दर मह्व हुआ कि मुख़्तार ने उसे नहाते देखा था। मुख़्तार को मालूम हुआ कि उसका नाम शारदा है। रूप कौर के चचा की लड़की है,...
ऐसा लगा जैसे वो मुद्दतों से मुझे मुर्दा तसव्वुर कर चुकी है और अब मेरा भूत उसके सामने खड़ा है। उसकी आँखों में एक लहज़े के लिए जो दहशत मैंने देखी, उसकी याद ने मुझे बावला कर दिया है। मैं तो सोच-सोच के दीवानी हो जाऊँगी। ये लड़की (उसका नाम...
शाहिदा अब बी.ए में थी। ख़ूबसूरत होने के इलावा काफ़ी ज़हीन थी। उसके प्रोफ़ेसर उसकी ज़हानत और ख़ूबसूरत से बड़े मरऊ’ब थे। प्रिंसिपल की चहेती थी, इसलिए कि वो उसकी बड़ी बहन के बड़े लड़के की बेटी थी। कॉलिज में चे-मी-गोईयां होती ही रहती हैं। शाहिदा के मुतअ’ल्लिक़ क़रीब क़रीब...
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