आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "मंसूर"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "मंसूर"
ग़ज़ल
तिरी सरकार में लाया हूँ डाली हसरत-ए-दिल की
अजब क्या है मिरा मंज़ूर ये नज़राना हो जाए
बेदम शाह वारसी
ग़ज़ल
न हर्फ़-ए-हक़, न वो मंसूर की ज़बाँ, न वो दार
न कर्बला, न वो कटते सरों के नज़राने
पीर नसीरुद्दीन शाह नसीर
पृष्ठ के संबंधित परिणाम "मंसूर"
शब्दकोश से सम्बंधित परिणाम
अन्य परिणाम "मंसूर"
ग़ज़ल
कर सकते हैं चाह तिरी अब 'सरमद' या 'मंसूर'
मिले किसी को दार यहाँ और खिंचे किसी की खाल
क़तील शिफ़ाई
ग़ज़ल
पहले भी तवाफ़-ए-शम्-ए-वफ़ा थी रस्म मोहब्बत वालों की
हम तुम से पहले भी यहाँ 'मंसूर' हुए 'फ़रहाद' हुए
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
ज़ोहद और रिंदी
इक मौलवी साहब की सुनाता हूँ कहानी
तेज़ी नहीं मंज़ूर तबीअत की दिखानी