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नज़्म
जवाब-ए-शिकवा
हो निको नाम जो क़ब्रों की तिजारत कर के
क्या न बेचोगे जो मिल जाएँ सनम पत्थर के
अल्लामा इक़बाल
शेर
रंज से ख़ूगर हुआ इंसाँ तो मिट जाता है रंज
मुश्किलें मुझ पर पड़ीं इतनी कि आसाँ हो गईं
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
अब न अगले वलवले हैं और न वो अरमाँ की भीड़
सिर्फ़ मिट जाने की इक हसरत दिल-ए-'बिस्मिल' में है
बिस्मिल अज़ीमाबादी
नज़्म
मिरे हमदम मिरे दोस्त!
तिरी आँखों की उदासी तेरे सीने की जलन
मेरी दिल-जूई मिरे प्यार से मिट जाएगी
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
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शेर
न समझोगे तो मिट जाओगे ऐ हिन्दोस्ताँ वालो
तुम्हारी दास्ताँ तक भी न होगी दास्तानों में
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
तराना-ए-हिन्दी
यूनान ओ मिस्र ओ रूमा सब मिट गए जहाँ से
अब तक मगर है बाक़ी नाम-ओ-निशाँ हमारा