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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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चुनिंदा दोहे

दोहा हिन्दी, उर्दू शायरी

की मुमताज़ और मक़बूल सिन्फ़-ए- सुख़न है जो ज़माना-ए-क़दीम से ता-हाल एतबार रखती है। दोहा हिन्दी शायरी की सिन्फ़ है जो अब उर्दू में भी एक शेअरी रिवायत के तौर पर मुस्तहकम हो चुकी है। यहाँ कुछ सब से चुनिंदा दोहों को पेश किया जा रहा है कि आप इस ख़ूबसूरत विधा को पढ़ने का सफ़र आग़ाज़ कर सकें।

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घर को खोजें रात दिन घर से निकले पाँव

वो रस्ता ही खो गया जिस रस्ते था गाँव

निदा फ़ाज़ली

चिड़िया ने उड़ कर कहा मेरा है आकाश

बोला शिकरा डाल से यूँही होता काश

निदा फ़ाज़ली

क्यूँ रातों का जागिए कर के उस को याद

पत्थर दिल पर कब असर करती है फ़रियाद

ए.डी.राही

आए मुट्ठी बंद लिए चल दिए हाथ पसार

वो क्या था जो लुट गया देखो सोच-विचार

डॉ. नरेश

आँखें धोका दे गईं पाँव छोड़ गए साथ

सभी सहारे दूर हैं किस का पकड़ें हाथ

शम्स फ़र्रुख़ाबादी

कैसे अपने प्यार के सपने हों साकार

तेरे मेरे बीच है मज़हब की दीवार

फ़राग़ रोहवी

आसमान पर छा गई घटा घोर-घनगोर

जाएँ तो जाएँ कहाँ वीराने में शोर

भगवान दास एजाज़

जैसा उस का क्रोध है वैसा उस का प्यार

अलग अलग होती नहीं दो-धारी तलवार

आरसी

दिया बुझा फिर जल जाए और रुत भी पल्टा खाए

फिर जो हाथ से जाए समय वो कभी लौट के आए

जमाल पानीपती

कब तक जान बचाए फूल पे ओस का नन्हा क़तरा

पत्तों की भी ओट में हो तो सूरज पल पल ख़तरा

ज़किया ग़ज़ल

अमृत रस की बीन पर ज़हर के नग़्मे गाओ

मरहम से मुस्कान के ज़ख़्मों को उकसाओ

बेकल उत्साही

आँगन है जल-थल बहुत दीवारों पर घास

घर के अंदर भी मिला 'शाहिद' को बनवास

शाहिद मीर

दोहे कबित कह कह कर 'आली' मन की आग बुझाए

मन की आग बुझी किसी से उसे ये कौन बताए

जमीलुद्दीन आली

इक चुटकी भर चाँदनी इक चुटकी भर शाम

बरसों से सपने यही देखे यहाँ अवाम

दिनेश शुक्ल

सतरंगी रौशनी कैसी शक्ल बनाई

जो रंग अपनाया नहीं वो ही दिया दिखाई

अनस ख़ान

दुनिया से ओझल रहे लिया लबादा ओढ़

सारे तन पर छा गया मन का काला कोढ़

भगवान दास एजाज़

जुर्म-ए-मोहब्बत की मिली हम को ये पादाश

अपने काँधे पर चले ले कर अपनी लाश

सलीम अंसारी

बीते जिस की छाँव में मौसम के दिन रात

अपने मन की आस का टूट गया वो पात

नज़ीर फ़तेहपूरी

दामन-ए-सुब्ह पर फैल गए रंग बिरंगे फूल

इन की रौनक़ हर जगह घर हो या स्कूल

ज़हीर अातिश

आँख से ओझल हो और टूटे पर्बत जैसी प्रीत

मुँह देखे की यारी 'परतव' शीशे की सी प्रीत

परतव रोहिला

Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

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