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ग़ज़ल 45
नज़्म 4
शेर 39
चित्र शायरी 1
चाँदनी रात बड़ी देर के बा'द आई है लब पे इक बात बड़ी देर के बा'द आई है झूम कर आज ये शब-रंग लटें बिखरा दे देख बरसात बड़ी देर के बा'द आई है दिल-ए-मजरूह की उजड़ी हुई ख़ामोशी से बू-ए-नग़्मात बड़ी देर के बा'द आई है आज की रात वो आए हैं बड़ी देर के बा'द आज की रात बड़ी देर के बा'द आई है आह तस्कीन भी अब 'सैफ़' शब-ए-हिज्राँ में अक्सर औक़ात बड़ी देर के बा'द आई है
वीडियो 9
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