आलोक यादव

ग़ज़ल 21

नज़्म 1

 

अशआर 12

नई नस्लों के हाथों में भी ताबिंदा रहेगा

मैं मिल जाऊँगा मिट्टी में क़लम ज़िंदा रहेगा

  • शेयर कीजिए

दिलकशी थी उन्सियत थी या मोहब्बत या जुनून

सब मराहिल तुझ से जो मंसूब थे अच्छे लगे

  • शेयर कीजिए

प्यार का दोनों पे आख़िर जुर्म साबित हो गया

ये फ़रिश्ते आज जन्नत से निकाले जाएँगे

  • शेयर कीजिए

वाइ'ज़ सफ़र तो मेरा भी था रूह की तरफ़

पर क्या करूँ कि राह में ये जिस्म पड़ा

  • शेयर कीजिए

सुन रहा हूँ कि वो आएँगे हँसाने मुझ को

आँसुओ तुम भी ज़रा रंग जमाए रखना

  • शेयर कीजिए

हिंदी ग़ज़ल 1

 

"फरीदाबाद" के और शायर

 

Recitation

aah ko chahiye ek umr asar hote tak SHAMSUR RAHMAN FARUQI

Jashn-e-Rekhta | 2-3-4 December 2022 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate, New Delhi

GET YOUR FREE PASS
बोलिए