Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर
Qamar Moradabadi's Photo'

क़मर मुरादाबादी

1910 - 1987

क़मर मुरादाबादी

ग़ज़ल 8

अशआर 11

अब मैं समझा तिरे रुख़्सार पे तिल का मतलब

दौलत-ए-हुस्न पे दरबान बिठा रक्खा है

व्याख्या

रुख़्सार अर्थात गाल, दौलत-ए-हुस्न अर्थात हुस्न की दौलत, दरबान अर्थात रखवाला। यह शे’र अपने विषय की नवीनता के कारण लोकप्रिय है। शे’र में केन्द्रीय स्थिति “रुख़्सार पर तिल” को प्राप्त है क्योंकि उसी के अनुरूप शायर ने विषय पैदा किया है। प्रियतम के गाल को दरबान(रखवाला) से तुलना करना शायर का कमाल है। और जब दौलत-ए-हुस्न कहा तो जैसे प्रियतम के सरापा को आँखों के सामने लाया हो।

रुख़्सार पर तिल होना सौन्दर्य का एक प्रतीक समझा जाता है। मगर चूँकि प्रियतम सुंदरता की आकृति है इस विशेषता के अनुरूप शायर ने यह ख़्याल बाँधा है कि जिस तरह बुरी नज़र से सुरक्षित रखने के लिए ख़ूबसूरत बच्चों के गाल पर काला टीका लगाया जाता है उसी तरह मेरे प्रियतम को लोगों की बुरी दृष्टि से बचाने के लिए ख़ुदा ने उसके गाल पर तिल रखा है। और जिस तरह धन-दौलत को लुटेरों से सुरक्षित रखने के लिए उस पर प्रहरी (रखवाले) बिठाए जाते हैं, ठीक उसी तरह ख़ुदा ने मेरे महबूब के हुस्न को बुरी नज़र से सुरक्षित रखने के लिए उसके गाल पर तिल बनाया है।

शफ़क़ सुपुरी

  • शेयर कीजिए

किसी की राह में काँटे किसी की राह में फूल

हमारी राह में तूफ़ाँ है देखिए क्या हो

मुद्दतों बाद जो इस राह से गुज़रा हूँ 'क़मर'

अहद-ए-रफ़्ता को बहुत याद किया है मैं ने

जिस क़दर जज़्ब-ए-मोहब्बत का असर होता गया

इश्क़ ख़ुद तर्क तलब से बे-ख़बर होता गया

  • शेयर कीजिए

ग़म की तौहीन कर ग़म की शिकायत कर के

दिल रहे या रहे अज़मत-ए-ग़म रहने दे

  • शेयर कीजिए

पुस्तकें 7

 

ऑडियो 5

नज़र है जल्वा-ए-जानाँ है देखिए क्या हो

बे-नक़ाब उन की जफ़ाओं को किया है मैं ने

मंज़िलों के निशाँ नहीं मिलते

Recitation

Recitation

Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

GET YOUR PASS
बोलिए