आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "الم"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "الم"
नज़्म
जवाब-ए-शिकवा
आलिम-ए-कैफ़ है दाना-ए-रुमूज़-ए-कम है
हाँ मगर इज्ज़ के असरार से ना-महरम है
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
कभी कभी
तिरी नज़र की शुआ'ओं में खो भी सकती थी
अजब न था कि मैं बेगाना-ए-अलम हो कर
साहिर लुधियानवी
पृष्ठ के संबंधित परिणाम "الم"
शब्दकोश से सम्बंधित परिणाम
अन्य परिणाम "الم"
ग़ज़ल
तमाम इल्म ज़ीस्त का गुज़िश्तगाँ से ही हुआ
अमल गुज़िश्ता दौर का मिसाल में मिला मुझे
मुनीर नियाज़ी
नज़्म
इतना मालूम है!
और जब उस ने वहाँ मुझ को न पाया होगा!?
आप को इल्म है वो आज नहीं आई हैं?
परवीन शाकिर
नज़्म
हम जो तारीक राहों में मारे गए
क़त्ल-गाहों से चुन कर हमारे अलम
और निकलेंगे उश्शाक़ के क़ाफ़िले
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
दरख़्त-ए-ज़र्द
मैं वो हूँ जिस ने अपने ख़ून से मौसम खिलाए हैं
न-जाने वक़्त के कितने ही आलम आज़माए हैं