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नज़्म
जवाब-ए-शिकवा
दिल से जो बात निकलती है असर रखती है
पर नहीं ताक़त-ए-परवाज़ मगर रखती है
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
ताज-महल
ताज तेरे लिए इक मज़हर-ए-उल्फ़त ही सही
तुझ को इस वादी-ए-रंगीं से अक़ीदत ही सही
साहिर लुधियानवी
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नज़्म
तुलू-ए-इस्लाम
दलील-ए-सुब्ह-ए-रौशन है सितारों की तुनुक-ताबी
उफ़ुक़ से आफ़्ताब उभरा गया दौर-ए-गिराँ-ख़्वाबी
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
किसी का यूँ तो हुआ कौन उम्र भर फिर भी
ये हुस्न ओ इश्क़ तो धोका है सब मगर फिर भी
फ़िराक़ गोरखपुरी
मर्सिया
दश्त-ए-विग़ा में नूर-ए-ख़ुदा का ज़ुहूर है
दश्त-ए-विग़ा में नूर-ए-ख़ुदा का ज़ुहूर है
मीर अनीस
नज़्म
आख़िरी ख़त
और हद से गुज़र जाएगा अंदोह-ए-निहानी
थक जाएँगी तरसी हुई नाकाम निगाहें