Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर
Abrar Ahmad's Photo'

अबरार अहमद

1954 - 2021 | लाहौर, पाकिस्तान

प्रगतिशील विचारों के पाकिस्तानी शायर, संजीदा शायरी पसंद करने वालों में विख्यात।

प्रगतिशील विचारों के पाकिस्तानी शायर, संजीदा शायरी पसंद करने वालों में विख्यात।

अबरार अहमद

ग़ज़ल 23

नज़्म 26

अशआर 21

हर एक आँख में होती है मुंतज़िर कोई आँख

हर एक दिल में कहीं कुछ जगह निकलती है

  • शेयर कीजिए

याद भी तेरी मिट गई दिल से

और क्या रह गया है होने को

तू कहीं बैठ और हुक्म चला

हम जो हैं तेरा बोझ ढोने को

कहीं कोई चराग़ जलता है

कुछ कुछ रौशनी रहेगी अभी

भर लाए हैं हम आँख में रखने को मुक़ाबिल

इक ख़्वाब-ए-तमन्ना तिरी ग़फ़लत के बराबर

पुस्तकें 6

 

ऑडियो 7

कोई सोचे न हमें कोई पुकारा न करे

गुरेज़ाँ था मगर ऐसा नहीं था

तुझ से वाबस्तगी रहेगी अभी

Recitation

"लाहौर" के और शायर

Recitation

Jashn-e-Rekhta 10th Edition | 5-6-7 December Get Tickets Here

बोलिए