लियाक़त जाफ़री
ग़ज़ल 16
अशआर 18
उसी के नूर से ये रौशनी बची हुई थी
मिरे नसीब में जो तीरगी बची हुई थी
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
एक आसेब तआक़ुब में लगा रहता है
मैं जो रुकता हूँ तो फिर उस की सदा चलती है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
मैं कुछ दिन से अचानक फिर अकेला पड़ गया हूँ
नए मौसम में इक वहशत पुरानी काटती है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
वजूद अपना है और आप तय करेंगे हम
कहाँ पे होना है हम को कहाँ नहीं होना
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
पुस्तकें 6
वीडियो 3
This video is playing from YouTube