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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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अख़्तर होशियारपुरी

1918 - 2007 | रावलपिंडी, पाकिस्तान

ख्यातिप्राप्त शायर, अपने ना’तिया कलाम के लिए भी चर्चित. पाकिस्तान सरकार के “तमग़ा-ए-इम्तियाज़’ से सम्मानित

ख्यातिप्राप्त शायर, अपने ना’तिया कलाम के लिए भी चर्चित. पाकिस्तान सरकार के “तमग़ा-ए-इम्तियाज़’ से सम्मानित

अख़्तर होशियारपुरी

ग़ज़ल 52

अशआर 47

कच्चे मकान जितने थे बारिश में बह गए

वर्ना जो मेरा दुख था वो दुख उम्र भर का था

लोग नज़रों को भी पढ़ लेते हैं

अपनी आँखों को झुकाए रखना

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जाने लोग ठहरते हैं वक़्त-ए-शाम कहाँ

हमें तो घर में भी रुकने का हौसला हुआ

'अख़्तर' गुज़रते लम्हों की आहट पे यूँ चौंक

इस मातमी जुलूस में इक ज़िंदगी भी है

वो पेड़ तो नहीं था कि अपनी जगह रहे

हम शाख़ तो नहीं थे मगर फिर भी कट गए

पुस्तकें 2

 

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