1916 - 1970 | मुंबई, भारत
प्रसिद्ध फ़िल्म गीतकार और शायर
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ऐ मोहब्बत तिरे अंजाम पे रोना आया
जाने क्यूँ आज तिरे नाम पे रोना आया
Love your sad conclusion makes me weep
Wonder why your mention makes me weep
अब तो ख़ुशी का ग़म है न ग़म की ख़ुशी मुझे
बे-हिस बना चुकी है बहुत ज़िंदगी मुझे
कैसे कह दूँ कि मुलाक़ात नहीं होती है
रोज़ मिलते हैं मगर बात नहीं होती है
धरती को आकाश पुकारे
1961
Door Koi Gaye
Kalam-e-Shakeel Badayuni
2002
Kulliyat-e-Shakeel
Kulliyat-e-Shakeel Badayuni
2006
Naghma-e-Firdaus
1948
1968
Raanaiyan
Rangeeniyan
रंगीनियाँ
क्या हसीं ख़्वाब मोहब्बत ने दिखाया था हमें खुल गई आँख तो ताबीर पे रोना आया
मुझे छोड़ दे मेरे हाल पर तिरा क्या भरोसा है चारागर ये तिरी नवाज़िश-ए-मुख़्तसर मेरा दर्द और बढ़ा न दे
किस से जा कर माँगिये दर्द-ए-मोहब्बत की दवा चारा-गर अब ख़ुद ही बेचारे नज़र आने लगे
ऐ मोहब्बत तिरे अंजाम पे रोना आया जाने क्यूँ आज तिरे नाम पे रोना आया
जब हुआ ज़िक्र ज़माने में मोहब्बत का 'शकील' मुझ को अपने दिल-ए-नाकाम पे रोना आया
यूँ तो हर शाम उमीदों में गुज़र जाती है आज कुछ बात है जो शाम पे रोना आया
उन का ज़िक्र उन की तमन्ना उन की याद वक़्त कितना क़ीमती है आज कल
तुम फिर उसी अदा से अंगड़ाई ले के हँस दो आ जाएगा पलट कर गुज़रा हुआ ज़माना
नज़्म 8
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