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उत्तर प्रदेश के शायर और अदीब

कुल: 2649

उर्दू में हास्य-व्यंग के सबसे बड़े शायर , इलाहाबाद में सेशन जज थे।

उर्दू / हिंदवी के पहले शायर। मशहूर सूफ़ी हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया के शागिर्द और संगीतज्ञ। तबला और सितार जैसे साज़ों का अविष्कार किया। अपनी ' पहेलियों ' के लिए प्रसिद्ध जो भारतीय लोक साहित्य का हिस्सा हैं। ' ज़े हाल-ए-मिस्कीं मकुन तग़ाफ़ुल ' जैसी ग़ज़ल लिखी जो उर्दू / हिंदवी शायरी का पहला नमूना है।

प्रमुख पूर्वाधुनिक शायरों में विख्यात, जिन्होंने आधुनिक उर्दू गज़ल के लिए राह बनाई/अपने गहरे आलोचनात्मक विचारों के लिए विख्यात/भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित

लखनऊ के सबसे गर्म मिज़ाज शायर। मीर तक़ी मीर के समकालीन। मुसहफ़ी के साथ प्रतिद्वंदिता के लिए मशहूर। 'रेख़्ती' विधा की शायरी भी की और गद्द में रानी केतकी की कहानी लिखी

लब्धप्रतिष्ठ कथाकार, अपनी विशिष्ट शैली और विभाजन के अनुभवों के मार्मिक वर्णन के लिए प्रसिद्ध। मेन बुकर पुरस्कार के लिए शार्ट लिस्ट किये जाने वाले पहले उर्दू-लेखक।

उर्दू के अग्रणी आधुनिक शायरों में शामिल। अपने अपारम्परिक अंदाज़ के लिए अत्यधिक लोकप्रिय

लखनऊ के अग्रगी क्लासिकी शायरों में विख्यात/मर्सिया के महान शायर

प्रमुख मर्सिया-निगार, मसनवी ‘सहर-उल-बयान’ के लिए विख्यात

उर्दू के पहले बड़े शायर जिन्हें 'ख़ुदा-ए-सुख़न' (शायरी का ख़ुदा) कहा जाता है

विश्व-साहित्य में उर्दू की सबसे बुलंद आवाज़। सबसे अधिक सुने-सुनाए जाने वाले महान शायर

18वी सदी के बड़े शायरों में शामिल। मीर तक़ी 'मीर' के समकालीन

18वीं सदी के बड़े शायरों में शामिल, मीर तक़ी 'मीर' के समकालीन।

मीर तक़ी 'मीर' के समकालीन। अग्रणी शायर जिन्होंने भारतीय संस्कृति और त्योहारों पर नज्में लिखीं। होली, दीवाली, श्रीकृष्ण पर नज़्मों के लिए मशहूर

18वी सदी के अग्रणी शायर, मीर तक़ी 'मीर' के समकालीन।

प्रख्यात उत्तर-आधुनिक शायर, 1996 में अचानक लापता हो गए।

बीसवीं सदी के महत्वपूर्ण विद्वान,लेखक, अनुवादक,उपन्यासकार, नाटककार. लखनऊ की सामाजिक व सांस्कृतिक जीवन के मर्मज्ञ.

पाकिस्तान के अग्रणी शायरों में से एक, अपनी तहदार शायरी के लिए विख्यात।

लखनऊ के अहम क्लासिकी शायर, आतिश के शागिर्द, लखनऊ पर लिखी अपनी लम्बी मसनवी ‘अफ़साना-ए-लखनऊ’ के लिए मशहूर

मशहूर आधुनिक शायर व अफ़्साना निगार, उर्दू में गद्य कविताओं के प्रथम शायरों में शामिल। प्रसिद्ध साहित्यिक पत्रिका ‘तशकील’ के सम्पादक रहे।

आधुनिक उर्दू नज़्म के संस्थापकों में शामिल। अग्रणी फ़िल्म-संवाद लेखक जिन्होंने सौ से भी अधिक फ़िल्मों के संवाद लिखे। फ़िल्म 'वक़्त' के लिए उनका संवाद "जिनके अपने घर शीशे के हों वो दूसरों पर पत्थर नहीं फेंका करते" आज भी ज़बान पर है।

अग्रणी प्रगतिशील शायरों में शामिल/आलोचक, बुद्धिजीवी और साहित्यिक पत्रिका ‘गुफ़्तुगू’ के संपादक/भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित/उर्दू शायरों पर टीवी सीरियलों के निर्माता

विख्यात संस्कृत विद्वान, साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित।

दाग़ देहलवी के समकालीन। अपनी ग़ज़ल ' सरकती जाए है रुख़ से नक़ाब आहिस्ता आहिस्ता ' के लिए प्रसिद्ध हैं।

प्रख्यात उत्तर-आधुनिक शायर, साहित्यिक पत्रिका दायरे के संपादक।

प्रख्यात पूर्व-आधुनिक शायर, अपने सूफ़ियाना लहजे के लिए प्रसिद्ध।

अग्रणी एवं प्रख्यात प्रगतिशील शायर, रोमांटिक और क्रांतिकारी नज़्मों के लिए प्रसिद्ध, ऑल इंडिया रेडियो की पत्रिका “आवाज” के पहले संपादक, मशहूर शायर और गीतकार जावेद अख़्तर के मामा

नई ग़ज़ल के महत्वपूर्ण पाकिस्तानी शायर/अपनी ग़ज़ल ‘वो इश्क़ जो हम से छूट गया........’ के लिए प्रसिद्ध जिसे कई गायकों ने आवाज़ दी है

लखनऊ के प्रसिद्ध शायर, मिर्ज़ा दबीर के सुपुत्र, काव्य विद्या पर अपनी किताब ‘मिक़यासुल अशआर’ के लिए भी प्रसिद्ध

लोकप्रिय आधुनिक शायर, सरल भाषा में शेर कहने के लिए जाने जाते हैं

सूफ़ी शायर धार्मिक शायरी के लिए विख्यात

उर्दू के पहले उपन्यासकार के रूप में विख्यात

प्रख्यात और लोकप्रिय हास्य-व्यंग शायर

बीसवीं सदी के नामचीन हिंदी शायर और कथाकार, अपनी लोकप्रिय नज़्मों के साथ हिंदी में ग़ज़ल लेखन के लिए पहचाने जाते हैं

20वीं सदी के चौथे और पाँचवे दशकों के सबसे लोकप्रिय शायरों में से एक, फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ के समकालीन।

प्रसिद्ध पाकिस्तानी शायरा। अपने स्त्री-वादी और संस्था-विरोधी विचारों के लिए विख्यात

अग्रणी पूर्व-आधुनिक शायरों में शामिल, शायरी के उदास रंग के लिए विख्यात।

उत्तर-आधुनिक उर्दू शायरी की एक प्रख्यात शख़्सियत

मिर्ज़ा ग़ालिब के समकालीन, 19वीं सदी की उर्दू ग़ज़ल का रौशन सितारा।

स्वतंत्रता सेनानी और संविधान सभा के सदस्य। ' इंक़िलाब ज़िन्दाबाद ' का नारा दिया। कृष्ण भक्त , अपनी ग़ज़ल ' चुपके चुपके, रात दिन आँसू बहाना याद है ' के लिए प्रसिद्ध

पाकिस्तान में अग्रणी शायरों में शामिल, अपनी सांस्कृतिक रूमानियत के लिए मशहूर।

लखनऊ के मुम्ताज़ और नई राह बनाने वाले शायर/मिर्ज़ा ग़ालिब के समकालीन

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