अक़ील नोमानी
ग़ज़ल 21
अशआर 24
मुस्कुराने की क्या ज़रूरत है
आप यूँ भी उदास लगते हैं
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बड़ी ही कर्बनाक थी वो पहली रात हिज्र की
दोबारा दिल में ऐसा दर्द आज तक नहीं हुआ
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लगता है कहीं प्यार में थोड़ी सी कमी थी
और प्यार में थोड़ी सी कमी कम नहीं होती
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मुसाफ़िर तिरा ज़िक्र करते रहे
महकता रहा रास्ता देर तक
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