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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Vikas Sharma Raaz's Photo'

विकास शर्मा राज़

1973 | हरयाना, भारत

नई नस्ल के अग्रणी शायर

नई नस्ल के अग्रणी शायर

विकास शर्मा राज़

ग़ज़ल 12

अशआर 41

मुझ को अक्सर उदास करती है

एक तस्वीर मुस्कुराती हुई

इरादा तो नहीं है ख़ुद-कुशी का

मगर मैं ज़िंदगी से ख़ुश नहीं हूँ

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एक बरस और बीत गया

कब तक ख़ाक उड़ानी है

मुद्दतें हो गईं हिसाब किए

क्या पता कितने रह गए हैं हम

कौन तहलील हुआ है मुझ में

मुंतशिर क्यूँ हैं अनासिर मेरे

वीडियो 8

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वीडियो का सेक्शन
शायर अपना कलाम पढ़ते हुए

विकास शर्मा राज़

Parampara Mushaira at club 15A Noida On 25th January 2014

विकास शर्मा राज़

Reciting own poetry

विकास शर्मा राज़

Reciting own poetry

विकास शर्मा राज़

उसे छुआ ही नहीं जो मिरी किताब में था

विकास शर्मा राज़

ज़िंदगी की हँसी उड़ाती हुई

विकास शर्मा राज़

दिल-खंडर में खड़े हुए हैं हम

विकास शर्मा राज़

फिर वही शब वही सितारा है

विकास शर्मा राज़

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