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शैख़ अली बख़्श बीमार

1789 - 1854 | रामपुर, भारत

शैख़ अली बख़्श बीमार

ग़ज़ल 9

अशआर 3

कौन पुरसाँ है हाल-ए-बिस्मिल का

ख़ल्क़ मुँह देखती है क़ातिल का

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चशम-दिलबर ने दिल-ए-ज़ार की दिलदारी की

आह बीमार ने बीमार की ग़म-ख़्वारी की

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दम निकला यार की ना-मेहरबानी देख कर

सख़्त हैराँ हूँ मैं अपनी सख़्त-जानी देख कर

 

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